Hathi-ki-Samjh : पढ़े एक हाथी की बुद्धि की बेहतरीन कहानी, जाने हाथी के बच्चे ने बच्चों को क्या शिक्षा दी?

एक हाथी का बच्चा था, वह बहुत चंचल था, उसके कई छोटे-छोटे बच्चे दोस्त है, उनसे उस समय पर मिलता जब यह बच्चे स्कूल ड्रेस पहनकर  पीछे बैग टांग कर स्कूल जा रहे होते,
 जाने उस हाथी के बच्चे ने ऐसा क्या देखा, वह भी उन बच्चों के साथ स्कूल जाने की सोचता, आयुर्वेद उन बच्चों के पीछे पीछे स्कूल चला जाता, हालांकि वहां का दरबार उसे भगा देता लेकिन हाथी का बच्चा ही बैठा हूं बाकी दोस्तों का इंतजार करता रहता, स्कूल के बच्चे उसे देखकर बहुत खुश होते हैं, सभी ने मिलकर उस हाथी के बच्चे का नाम गणेशा रखा,

 गणेशा को अपनाया नाम बहुत पसंद आया, जब भी कोई गणेशा नाम से उसे पुकार था वह तुरंत सो हिलाता हुआ उसके करीब चला जाता,

 एक बार की बात है  गर्मी का महीना था, स्कूल के सभी बच्चे पानी के लिए इधर उधर जाते दिखे, सभी को बड़ी जोर प्यास लगी हुई थी और स्कूल में लगभग पानी समाप्त हो चुका था, नल में पानी भी नहीं था, गर्मी के दौरान कभी कबार स्कूल में ऐसी समस्या आ जाती थी,
 लेकिन बच्चे तो परेशान और व्याकुल हो गए पानी पीने के लिए वे आसपास जाति दिखे, गणेशा उनके साथ साथ गया और सब को पानी पीते हुए देखा, गणेशा समझ गया था कि सभी बच्चे गर्मी में परेशान होकर पानी पीने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं,

 उसने सोचा क्यों ना इन सब की मदद की जाए और वह नदी से जाकर अपने सुढ में लगभग एक छोटी  बाल्टी के जितना पानी भरकर स्कूल के सामने खाली पड़ी बाल्टी में पानी भर दिया, और बच्चों को पानी पीने के लिए इशारे करने लग गया,

 जो गणेशा के दोस्त हैं पानी पीने के लिए आगे आए, लेकिन उन्होंने पानी पीने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि हाथी के सूंड से निकले पानी से कहीं हमें कोई किसी तरह की बीमारी ना हो जाए, पर जाने गणेशा नहीं आ पानी कहां से लाया होगा, क्या पानी अगर सुरक्षित ना हुआ अगर हमने इस पानी को पी लिया तो हम बीमार पड़ सकते हैं,
 यह सारी बातें सोच कर बच्चों ने पानी पीने से इंकार कर दिया मगर गणेशा ने अपनी जिद नहीं छोड़ी वह हर दिन बच्चों के लिए सुण्ड में भर कर पानी लाता, अधिक गर्मी होती तो दिन भर में तीन चार बार फिर से पानी लाकर बाल्टी को भर देता, ताकि बच्चों को इधर उधर पानी के लिए भटकना ना पड़े,

 फिर भी बच्चे उसकी भावना से अनजान तभी उसके द्वारा लाए गए पानी को नहीं पीते, उन्हें डर था कि गणेशा नासमझ जानवर है, वह नहीं जानता कि इंसानों को पीने के लिए स्वच्छ पानी की जरूरत होती है,

 1 दिन गणेशा के दोस्त बच्चे ने सोचा कि चलो आज हम देख कर आते हैं गणेशा कहां से पानी लेकर आता है, गणेशा के पीछे पीछे चलने लग गया, गणेशा अपनी धुन में पूछ हिलाता हुआ एक नदी के किनारे पहुंचा, हालांकि नदी में किनारों पर बहुत अधिक गंदगी थी इसलिए उसने वहां से पानी नहीं लिया, वह एक दूसरे छोर पर गया जहां पर बिल्कुल साफ और स्वच्छ पानी था, गणेशा ने छूट से पानी भरा, और स्कूल की ओर चल दिया, जब गणेशा के मित्र दोस्त से यह देखा कि गणेशा बिल्कुल साफ पानी लाता है तो उसने आकर सभी दोस्तों को बताया गणेशा नदी के सबसे साफ जल को लाता लाता है,
 इतना साफ पानी तो हमारे स्कूल में भी नहीं है उपलब्ध है, तभी उसके नीचे दोस्त ने गणेशा द्वारा लाए गए पानी को चक कर देखा तों यह बिल्कुल मीठा पानी था, जिसे उसने बाकी दोस्तों को भी पिलाया,

 उस नीचे पानी को पी कर सभी कमल तरोताजा हो क्या, और उन्हें अपनी भूल का  पश्चाताप हुआ, हम जिसे एक अबोध प्राणी समझ रहे थे, इंसानों से ज्यादा समझ रखने वाला निकला,

 गणेशा की बुद्धि देखकर वहां के मास्टर ने भी गणेशा को स्कूल में आने-जाने की इजाजत दे दी, अब गणेशा अपने दोस्तों के साथ बैठकर पढ़ने की इजाजत दे दी, इस तरह गणेशा के सपने पूरे हुए, और इस तरह वह भी बाकी दोस्तों के साथ स्कूल जाया आया करता

शिक्षा :-
 जिस तरह हाथी ने बच्चों को शिक्षा दी इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि  जानवरों में भी मानवता का गुण विद्यमान है, इसीलिए सभी को समान भाव से देखना हमारा कर्तब्य है 

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