जैसे को तैसा
एक गांव में 5 दोस्त रहते थे, गांव में कमाई के साधन ज्यादा नहीं थे इसलिए सभी लकड़ियां लाने जंगल जाते थे पांच दोस्तों के नाम थे रामू,कालू,चंदन, राजू, और संजय, सभी ज्यादातर लकड़ियों से अपने घर के खर्च उठाते थे जिस दिन बरसात होती है उस दिन लकड़ियों का उनका उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता इस कारण कई दिनों तक उनके घर में झूला भी नहीं चलता,
सभी बाल बच्चे दार थे इसलिए 1 दिन की भी छुट्टी उनके लिए मुसीबत सामान थी,
1 दिन सभी दोस्त लकड़िया लाने जाओगे हुए थे, कालू अपनी लकड़ियां बांध रहा था, सभी चंदन ने उसे कंकड़ मारने आरंभ कर दिए, कालू अपने काम में मशगूल था उसने चंदन को जवाब देना सही नहीं समझा,
चंदन ने देखा कालू ने कोई जवाब नहीं दिया और उसे कमजोर समझ कर अब वह हर दिन यही काम करने लग गया, चंदन अपने मन का मालिक था उसे किसी की पड़ी नहीं थी इसीलिए उसे जो सही लगता है वही करता वह कालू के साथ वह हर दिन यही कार्यकर्ता हर दिन से कंकड़ मारता, कालू मन का काम था इसलिए चंदन को कभी तो पलट कर जवाब नहीं देता,
लेकिन चंदन की आदत नहीं गई एक दिन कालू ने सोचा इसी तरह अगर चलता रहा तो वह हर दिन मुझे परेशान करेगा तो मुझे कुछ करना चाहिए, बाकी दोस्त देख सब कुछ देखते परंतु उनके मानो मूवी बंधे हुए थे बने हुए थे,
इसलिए कालू ने स्वयं ही रास्ता खोजा उसने तय कर लिया कि जब चंदन उसे कंकड़ मारेगा वह भी पलट कर जवाब देगा एक, एक ना एक दिन उसकी आदत छुटी जाएगी,
और हर दिन की तरह सभी लकड़िया लेने जंगल पहुंचे, कालू को चंदन कंकड़ मार रहा था तो कालू ने भी खड़े होकर उसे वैसे ही कंकड़ मारने लग गया, चंदन बुरा मान गया,
उसी लगा पर यह क्या कालू ने जवाब दे दिया, अपने दोस्तों के पास जाकर खूब कालू की शिकायत की,
उसके दोस्त सब देख रहे थे, गांव में चंदन सभी के घरों में ज्यादा करिए बात कही कि वह मुझे कंकड़ मारता है, परंतु कालू को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह क्योंकि वह कुछ हरकत से परेशान था जो चंदन उसके साथ करता था,
और इस घटना के बाद चंदन कि वह हरकत भी छूट गई
शिक्षा :-
जब तक हम अपने लिए खड़े नहीं होते तब तक कोई हमारा साथ नहीं देता, हमें हमारी मदद खुद करनी चाहिए
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें