हथिनी के दो शैतान बच्चे और जंगल

एक घने जंगल में एक मोटी हाथनी रहती थी,उसके दो छोटे बच्चे थे वह बच्चे बड़े शरारती और नटखट थे, वे दोनों हर पल हथनी के नाक में दम कर के रखे हुए थे, हाथी मां सोची कि क्यों ना इन दोनों को पास के जंगल में छोड़ आओ, वहां पर तो इन दोनों का ननिहाल भी है तो वे दोनों कुछ समय के लिए  वहां रहेंगे तो मुझे थोड़ी शांति मिलेगी,

 इसके बाद ही अगली सुबह मम्मा हाथी दोनों छोटे बच्चे को लेकर दूसरे जंगल की ओर निकल पड़ी, रास्ते में एक बड़ा सा तालाब दिखा, दोनों हाथी के छोटे बच्चे जिद करने लगे मम्मा मुझे यहीं पर नहाना है माँ मुझे यहीं पर नहाना है मां ने बहुत समझाया कि हमारा नानी घर थोड़ी दूर पर है वहां जाकर तुम दोनों नहा लेना पर उन दोनों ने मां की एक न मानी और दोनों वहीं पर कूद कूद कर नहाने लग गए,

 हाथी मां को एहसास हुआ या तालाब का और दलदल ज्यादा है यह बच्चे लगातार कूद रहे थे जिस कारण पानी अंदर जा रहा था रूपरका दलदल सता पर आता जा रहा था अब मैं दोनों बच्चे बाहर निकलने में सक्षम होने लगे वे दोनों फस गए जिस पर गए थे,

 मम्मा हाथी थोड़ी देर बैठ कर आराम कर रही थी मम्मा हाथी ने जैसे ही दोनों की आवाज सुनी वह दौड़कर वहां पहुंचे और दलदल को देखकर वह भी डर गई या तो बड़ा ही खतरनाक दलदल है देखने में बिल्कुल तालाब जैसा जब तुम अंदर में दलदल भरा हुआ है, आज मैं नहाती तो इन दोनों नटखट बच्चे का क्या होता मम्मा हाथी ने जल्दी से अपने छोटे बदमाश बच्चों को कि अपनी सूट की मदद से खींचकर बाहर निकाला और उन्हें जोर से डांट लगाई आज के बाद अगर तुम लोगों ने मेरा कहना नहीं माना तो मैं तुम्हें कभी तुम वापस लेने नहीं आऊंगी तो मैं दोनों बच्चे डर गए हम कर बोले नहीं मां हम दोनों कभी बदमाशी नहीं करेंगे और हम तुम्हारे साथ ही रहेंगे हमें जल्दी लेकर जाना यहां से

 इसके बाद उन्होंने नटखट बच्चे को अपने मायके में छोड़ हथनी मां अपने दोस्त से जंगल को चली गई,

इधर ननिहाल में दोनों बच्चे ने तांडव मचा कर रखा था, हर दिन कोई न कोई शैतानी करते उन्होंने हथिनी के मायके वालों को तंग कर दीया, दोनों बच्चे हर समय जिद करते नए-नए जिसको सुनकर उनके परिवार वाले चक्के रह जाते हैं कि यह बच्चे बिल्कुल भी बिल्कुल भी समझदार नहीं है यह बड़े बड़े बदमाश किस्म के हैं एक भी कहना नहीं सुनते हैं किसी का ऊपर से जो मन में आता है वह करते हैं अगर कहीं बुरी संगत में फंस गए तो यह दोनों हाथी बच्चे तो बड़े शैतान है,

 ननिहाल में सब का हाल बुरा हो गया उन दोनों की बदमाशी से, अब तो बस सब यही चाह रहे थे कि जल्द से जल्द यह दोनों बच्चे अपनी मां के पास रवाना कर दिए जाए,

 इसके लिए उन्होंने एक लोमड़ी को हथिनी के पास संदेशा भेजने के लिए बुलावा भेजा, लोमड़ी दौड़ी दौड़ी आई और बोली क्या काम है मुझे बताओ मैं जल्दी से कर आऊ
 तब हथिनी के परिवार वालों ने बताया तुम मेरी बेटी को जा कर यह संदेशा भिजवा दो कि वह दोनों बच्चे अब हम दो हम सब से संभाले नहीं जा रहे हैं कृपया कर उन्हें अपने साथ ले जाओ,

 लोमड़ी भागी भागी उस गांव में गए जंगल में गए और जाकर हथनी को सारी बात बताई,
 हथिनी परेशान हो गई कि उसे उन दोनों ने तो मेरा जीना हराम कर रखा था अब लगता है वहां भी वही शैतानी करने में लगे हैं तभी तो या संदेशा मुझ तक आया है अब मैं क्या करूं मैं किसकी सहायता लूं मैं बच्चे को मैं कैसे सुधार हूं,

 एक जंगल में एक बड़ा सर्कस वाला या सर्कस में एक जोकर था वह जोकर बड़ी अच्छी-अच्छी बातें करता था जिस से प्रेरित होकर बच्चे सभी अच्छे अच्छे काम करने लग गए मां ने देखा तो जोकर से बात करने गई बोली क्या तुम मेरे दोनों छोटे और नटखट बच्चे को अच्छी-अच्छी बातें सिखा कर सही राह पर ले आओगे,

 जोकर ने कहा इसमें सोचने की क्या बात है मेरा तो यही काम है आप जल्दी से अपने बच्चे को ले आओ, मैं उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखा दूंगा जिससे वे दोनों भी एक शरीफ हाथी कहलाएंगे,

 मां सारी बातें सुनकर बहुत खुश हो गई उसे लगा उसे एक नया मौका मिला है अपने बच्चों को सुधारने का, वाह अगली सुबह जाकर ननिहाल से दोनों बच्चों को ले आए, और उस जोकर के पास बच्चों को भेज दिया, मन ही मन में बहुत खुश हो रही थी कि वे दोनों बच्चे मेरे बहुत अच्छे से अच्छे बन जाएंगे, और मुझे कोई भी शरारती बच्चों की मां नहीं कहेगा,

 लेकिन हथिनी के सारे सपने धरे के धरे रह गए कई महीनों के बाद तक भी व बच्चे बिल्कुल नहीं सुधरे जहां तक कि वह जो कर ही अपना संतुलन खो बैठा, इतना सब कुछ होने के बाद हथिनी चिंता में रहने लगी हथिनी की चिंता भी जायज थी उसके दोनों छोटे बच्चों ने पूरे जंगल में धमाल मचा कर रखा था,

 हथिनी के पास हर दिन कोई ना कोई आता और दोनों बच्चों की शिकायतकर्ता हथिनी और इन सब से तंग आ चुकी थी वह शेर राजा के पास गई उसे अपने बुक दोनों बच्चों की कहानी बोली, से राजा ने कहा ऐसा है उन बच्चों में जो वे दोनों इतने शरारती पैदा हुए हैं, जरा उन दोनों को मेरे पास लेकर आओ मैं देखता हूं वह क्या करते हैं,

 हथिनी नीचे राजा की आज्ञा मानकर अगली सुनवाई दिन ही से राजा के पास दोनों बच्चों को छोड़ गई, फिर किधर से दोनों बच्चे थरथर कांप रहे थे, थोड़ी देर बाद दोनों बच्चों ने अपनी शरारते स्टार्ट कर दी और फिर जो हुआ उसके लिए इन दोनों हाथी के बच्चे सेहम गए,

 हाथी के बच्चे अपनी पुरानी आदतों के से परेशान होकर शरारते कर रहे थे और शेर शेर ने बच्चों की हरकतों को नजरअंदाज करते हुए अपना शिकार करने निकल गया, दोनों हाथी के बच्चों के सामने शेर ने शिकार किया और एक गीदड़ को देखते देखते मारकर खा गया, याद रिश्ते कर दोनों बच्चे डर से कांप रहे थे, और शेर ने उसे धमकी दी कि अगर तुम दोनों अपनी शरारती से बाज नहीं आए तो मैं तुम दोनों को भी इसी तरह मारकर खा जाऊंगा तब वह दोनों हाथी के बच्चे, बच्चे डर गए और और शेर के बिल में जाकर छुप गए और इसके बाद उन दोनों ने कसम खाई कि आज के बाद से कभी शरारत नहीं करेंगे और इस तरह हथनी मैं आराम पाया 

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