charwaha-or-rakshas : चरवाहा और राक्षस
एक गांव मे एक चरवाहा रहता था,उसके पास 100 बकरिया थी, सभी बकरिया काली और भूरे रंग की थी, ओर एक भैस थी उन बकरियो ओर भैस क़ो चराने के लिए उस चरवाहे नें अपने घर एक नौकर रखा था, जिसका नाम था.........कौशल
क्युकि वह खुद किसी अन्य काम के लिए शहर जाता था,और वहां बकरियो क़ो मोल भाव भी कर आता था,
एक दिन ज़ब वापस लौट कर नौकर नें उन 100 बकरियो की गिनती की तो उनमे से एक बकरिया कम थी, वह डर गया, क्युकि मालिक अब उसकी अच्छी खबर लेने वाला था,
मालिक आकर अपने काम मे ब्यस्त हो गया, जिसकारण उसे पता नहीँ चला की एक बकरी कम है, उसे लगा उसके नौकर नें हर दिन की तरह आज भी सभी बकरियो क़ो चरा कर वापस ले आया है,
अगले शाम ज़ब कौशल बकरिया चरा कर वापस ले कर आया ,,,तो उसने गिनती की तो आज फिर एक बकरी कम थी..... कुल मिलाकर उसके पास अब 98 बकरी हीं बची थी........ कुछ दिनों से मालिक की ब्यस्तता के कारन वह बकरी गिनने की जद्दों जेहद नहीँ करता,जिस कारन कौशल के बारे मे उसे कुछ पता नहीँ चला की उसने बकरिया भुला दी,
फिर से एक बकरी कम होने पर कौशल वापस जंगल चला गया,,,,और वहां खोयी बकरियो क़ो ढूंढने लगा, लेकिन उसे कोई भी बकरी नजर नहीँ आई,
वह एक गुफा के करीब पहुंचा.....जंहा से उसे किसी राक्षस के भयानक आवाजे सुनाई पड़ रहे थे.....ये आवाज सुनकर वह भय से काँपने लगा और मालिक के पास जाकर सारी बात बताई......उसने बताया की उस भयानक राक्षस नें उसके कई बकरियो क़ो एक एक कर खा लिया......
मालिक क़ो पहले विश्वास नहीँ हुआ....इसलिये वह देखने चला गया मगर उसे कोई आवाज सुनाई नहीँ दी,,,उसने हिम्मत करके उस गुफा के अंदर पहुंचा, जँहा सच मे बकरियो के अवशेष पड़े थे,
मालिक समझ गया की कोई तो है जो उसकी बकरियो क़ो खा रहा है, इसलिए उसने अपने नौकर क़ो कहा की तुम इन बकरियो का चारा यहां हीं ले आओ,
कौशल नें ठीक ऐसा हीं करना ठीक समझा...वह जंगल से चरा लाने निकला मगर वह शाम तक नहीँ लौटा...
मालिक क़ो लगा की उस राक्षस नें उसे भी अपना निवाला बना लिया है......फ़िरभी वह कौशल की खोज मे निकला......
कौशल जंगल के बीचोबीच बताया की वह राक्षस उसे खाने के लिए आ चूका था,इसलिए वह किसी तरह से वहां से बचकर भाग निकला,
मालिक क़ो बात थोड़ी अटपटी लगी.......अगर राक्षस सभी बकरियो क़ो खा सकता है तो इसे कैसे छोड दिया.....कहीं यह झूठ तो नहीँ केह रहा है,
वह दोबारा उस गुफा मे गया...जँहा उसे कौशल के उम्र के और लडके मिले, जो एक जगह आग जला कर अपना खाना तैयार कर रहे थे...
मालिक क़ो समझ आ गया वह राक्षस और कोई नहीँ इसी के दोस्त थे........ और यही सब नें मिल कर उसकी बकरिया खा ली है, जिसके बाद उसने कौशल क़ो धोखा देने के इल्जाम मे बहोत पिटा और उसे काम से निकाल दिया,
शिक्षा :- सच कभी न कभी बाहर आ हीं जाती है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें