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charwaha-or-rakshas : चरवाहा और राक्षस

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एक गांव मे एक चरवाहा रहता था,उसके पास 100 बकरिया थी, सभी बकरिया काली और भूरे रंग की थी, ओर एक भैस थी उन बकरियो ओर भैस क़ो चराने के लिए उस चरवाहे नें अपने घर एक नौकर रखा था, जिसका नाम था.........कौशल क्युकि वह खुद किसी अन्य काम के लिए शहर जाता था,और वहां बकरियो क़ो मोल भाव भी कर आता था, एक दिन ज़ब वापस लौट कर नौकर नें उन 100 बकरियो की गिनती की तो उनमे से एक बकरिया कम थी, वह डर गया, क्युकि मालिक अब उसकी अच्छी खबर लेने वाला था, मालिक आकर अपने काम मे ब्यस्त हो गया, जिसकारण उसे पता नहीँ चला की एक बकरी कम है, उसे लगा उसके नौकर नें हर दिन की तरह आज भी सभी बकरियो क़ो चरा कर वापस ले आया है, अगले शाम ज़ब कौशल बकरिया चरा कर वापस ले कर आया ,,,तो उसने गिनती की तो आज फिर एक बकरी कम थी..... कुल मिलाकर उसके पास अब 98 बकरी हीं बची थी........ कुछ दिनों से मालिक की ब्यस्तता के कारन वह बकरी गिनने की जद्दों जेहद नहीँ करता,जिस कारन कौशल के बारे मे उसे कुछ पता नहीँ चला की उसने बकरिया भुला दी, फिर से एक बकरी कम होने पर कौशल वापस जंगल चला गया,,,,और वहां खोयी बकरियो क़ो ढूंढने लगा, लेकिन उसे कोई भी बकरी न...

Nalayak-bete-ki-kahani : नालायक बेटे और पिता की कहानी

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ब्यापारी पिता और बेटे की कहानी :- एक बुजुर्ग दंपत्ति अपने इकलौते बेटे के साथ शहर के सबसे आखरी छोर पर रहते थे, उस जगह से जंगल मात्र 15 मीटर की दूरी पर थी,बेटे का नाम दिनेश था,वह एक लकड़ी का कारीगर था,,,, मगर उसे कामकाज में ज्यादा मन नहीं लगता,  दिनेश के पिता का लकड़ी का व्यापार था.... बड़े बड़े पेड़ों को काटकर लकड़ियां बनाई जाती और लकड़ियों से मेज कुर्सियां इत्यादि बनाई जाती,  दंपति जब अपने बुढ़ापे के आखिरी दिनों में था तो उसने अपने नालायक बेटे को बुलाकर अपनी पूरी जिम्मेदारी उसे सौप दी, क्योंकि उसके पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था उसका एक ही बेटा था मगर उसपर उसे भरोसा कम था इसलिए अब तक उसने अपनी जिम्मेदारियों से नहीं दी थी नाही अपने कामकाज में उसे शामिल किया था क्योंकि पिता को लगता था कि मेरा बेटा बिल्कुल नालायक है और वह यह सब काम नहीं कर सकता,  परंतु आप अपने आखिरी दिनों में जब उसने अपने बेटे को बुलाकर सारी जिम्मेदारी सौंपी,,, तब उसे उम्मीद थी कि वह सब बर्बाद कर देगा,  क्योंकि इससे पहले उसने कोई कामकाज सही से नहीं किया था, इस कारण पिता और बेटे की अच्छी न...

Bandar-ki-sujhbujh : बंदर की सूझबूझ

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पढ़े कैसे बचाई बंदर नें अपनी जान एक बार एक जंगल मे एक बंदर का परिवार रहता था........जंगल मे हर चीज उपलब्ध थे, मगर बंदरो के लिए कई सारी चीजों की मनाही थी,सारे बंदर एक तालाब के ठीक सामने वाले पेद पर रहते थे,,,और उस तालाब मे ढेर सारे मगरमछ रहते थे, अगर गलती से कोई बंदर निचे रह जाता तो मगर उन्हें अपना निवाला बना लेता, बंदर की माँ नें अपने बच्चे क़ो बताया की आज तुम्हारा जन्मदिन है.....बंदर बहोत खुश हूआ, उत्साह के कारन वह तालाब के सामने केले और संतरे के गाछ से फल तोड़ने निकल पड़ा, उसे लगा वह आज उसका जन्मदिन है मगरमछ उसका कोई नुकसान नहीँ करेंगे, वह लगातार संटर और केले खाता रहा, बंदर की थी मुश्किल मे जान निचे तालाब मे पड़े मगरमछ उसे क़िसा करते देख रहे थे, और इंतजार मे थे की जैसे हीं वह बंदर निचे आये तो मै उसको अपना निवाला बना लू, बंदर का पेट पुरी तरह भर गया.....उसे आराम की जरूरत थी,मगर सबसे बड़ी मुसीबत थी मगरमछ से भरे तालाब क़ो लाँघने की, इधर से उसके परिवार के सभी सदस्य उसे हीं देख रहे थे की कैसे वह वापस आएगा,और अपनी आवाज मे जोर जोर से चित्कार कर रहे थे,,,,, बंदर की साँस अटकी पड़ी थी,खाने का तो...

Bandar-ki-sujhbujh : बंदर की सूझबूझ

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पढ़े कैसे बचाई बंदर नें अपनी जान एक बार एक जंगल मे एक बंदर का परिवार रहता था........जंगल मे हर चीज उपलब्ध थे, मगर बंदरो के लिए कई सारी चीजों की मनाही थी,सारे बंदर एक तालाब के ठीक सामने वाले पेद पर रहते थे,,,और उस तालाब मे ढेर सारे मगरमछ रहते थे, अगर गलती से कोई बंदर निचे रह जाता तो मगर उन्हें अपना निवाला बना लेता, बंदर की माँ नें अपने बच्चे क़ो बताया की आज तुम्हारा जन्मदिन है.....बंदर बहोत खुश हूआ, उत्साह के कारन वह तालाब के सामने केले और संतरे के गाछ से फल तोड़ने निकल पड़ा, उसे लगा वह आज उसका जन्मदिन है मगरमछ उसका कोई नुकसान नहीँ करेंगे, वह लगातार संटर और केले खाता रहा, बंदर की थी मुश्किल मे जान निचे तालाब मे पड़े मगरमछ उसे क़िसा करते देख रहे थे, और इंतजार मे थे की जैसे हीं वह बंदर निचे आये तो मै उसको अपना निवाला बना लू, बंदर का पेट पुरी तरह भर गया.....उसे आराम की जरूरत थी,मगर सबसे बड़ी मुसीबत थी मगरमछ से भरे तालाब क़ो लाँघने की, इधर से उसके परिवार के सभी सदस्य उसे हीं देख रहे थे की कैसे वह वापस आएगा,और अपनी आवाज मे जोर जोर से चित्कार कर रहे थे,,,,, बंदर की साँस अटकी पड़ी थी,खाने क...

hanso-ka-joda-or-saanp : हंसो का जोड़ा और साँप

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मेरा नाम है सरोजनी और मेरा घर यही दिल्ली मे है,हमारे घर से सटा एक तालाब हुआ करता था, तालाब मे बहुत सारी मछलियां होती थी, जो दिन भर पानी की स्थ पर तैरती रहती, पानी के अंदर शैवाल भरे थे इसलिए कुछ खाश साफ नहीँ दीखता, लोग वहां दिन भर मछलिया पकड़ते, एक दिन मैंने देखा की उस बड़े से तालाब मे दो हंस तैर रहे थे, हाँसो का जोड़ा देखने मे बिल्कुल सफ़ेद और सुंदर था, वही बगल मे एक बड़ा मोटा साँप भी उन हाँसो क़ो गौर से एकटक देखे जा रहा था, जैसे केह रहा हो... तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,ये तो मेरा इलाका है, पर दोनों हंसो क़ो उसके अंदाज से कोई ख़ास फर्क नहीँ पड़ा, वह बार बार हंसो के करीब से गुजर कर अपनी मौजूदगी जताने मे लगा था, मगर हँस अपनी अटखेलियों मे ब्यस्त थे, की तभी उधर से किसी नें मछलियों क़ो पकड़ने के लिए एक बड़ी सि जलन पानी मे फेंका, साँप हंसो और ध्यान केंद्रित किये हुए था इसलिए वह उस जाल मे मछलियों के साथ जा फसा, जबकि दोनों हँस उसी तालाब मे बड़े आराम से तैर रहे थे, मछलियों क़ो निकलने के लिए ज़ब मछुवारो नें जाल फ खोला , तब वह साँप भी उसमे मछलियों के साथ मिला, उन्हें मछवारो नें हाथ मे लेकर दू...

hanso-ka-joda-or-saanp : हंसो का जोड़ा और साँप

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मेरा नाम है सरोजनी और मेरा घर यही दिल्ली मे है,हमारे घर से सटा एक तालाब हुआ करता था, तालाब मे बहुत सारी मछलियां होती थी, जो दिन भर पानी की स्थ पर तैरती रहती, पानी के अंदर शैवाल भरे थे इसलिए कुछ खाश साफ नहीँ दीखता, लोग वहां दिन भर मछलिया पकड़ते, एक दिन मैंने देखा की उस बड़े से तालाब मे दो हंस तैर रहे थे, हाँसो का जोड़ा देखने मे बिल्कुल सफ़ेद और सुंदर था, वही बगल मे एक बड़ा मोटा साँप भी उन हाँसो क़ो गौर से एकटक देखे जा रहा था, जैसे केह रहा हो... तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,ये तो मेरा इलाका है, पर दोनों हंसो क़ो उसके अंदाज से कोई ख़ास फर्क नहीँ पड़ा, वह बार बार हंसो के करीब से गुजर कर अपनी मौजूदगी जताने मे लगा था, मगर हँस अपनी अटखेलियों मे ब्यस्त थे, की तभी उधर से किसी नें मछलियों क़ो पकड़ने के लिए एक बड़ी सि जलन पानी मे फेंका, साँप हंसो और ध्यान केंद्रित किये हुए था इसलिए वह उस जाल मे मछलियों के साथ जा फसा, जबकि दोनों हँस उसी तालाब मे बड़े आराम से तैर रहे थे, मछलियों क़ो निकलने के लिए ज़ब मछुवारो नें जाल फ खोला , तब वह साँप भी उसमे मछलियों के साथ मिला, उन्हें मछवारो नें हाथ मे...

Jiraf-Ne-bachayi-do-jaan : कहानी पढ़े कैसे एक जिराफ ने शेर के मुंह से दो जानों को बचाया

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एक बार की बात है एक घने जंगल में एक बड़ा सा शेर रहता था, वाह शेर बहुत खतरनाक था, सारे जानवरों पर अपनी निगाह रख कर तूने एक दिन अपना निवाला बना लेता था, जंगल में शेर का बहुत आतंक मचा हुआ था,  कोई उस शेर के कारण हुआ जंगल छोड़कर दूसरे जंगल जा रहा था,  एक बार उससे ने एक बड़े से जिराफ को जंगल से बाहर जाते देखा, वजीराम बहुत दुखी था उसके साथ एक छोटा जिराफ भी था, फिर शेर को समझते हुए बिल्कुल देर नहीं लगा कि वह छोटा सा जिला उस बड़े जिराफ का बच्चा है,  वह शेर अब उस छोटे जीरा को खाने की तैयारी में था, जिराफ इन सब चीजों से अनजान अपनी धुन में मगन हुए जंगल से बाहर की ओर जा रहा था, रास्ते में जो डालियां उसके नजदीक आती वह उन्हें चलाता हुआ कुछ अपने बच्चे को देता हुआ जाता रहा,  तभी उसके सामने अचानक बसेरा खड़ा हुआ, फिर उस से मात्र 10 मीटर की दूरी पर था, जी रात में शेर को देखकर गहरी सांस भरी, उसे बस अपने बच्चे की चिंता थी, डर से उसके अंदर कई तरह के भागने के रास्ते दिखने लगे,  अब वह अकेला तू नहीं भाग सकता था उसे सबसे पहले अपने बच्चे को भगाना था तब वह शेर से हाथापाई करके थोड़ी...