hanso-ka-joda-or-saanp : हंसो का जोड़ा और साँप
मेरा नाम है सरोजनी और मेरा घर यही दिल्ली मे है,हमारे घर से सटा एक तालाब हुआ करता था, तालाब मे बहुत सारी मछलियां होती थी, जो दिन भर पानी की स्थ पर तैरती रहती,
पानी के अंदर शैवाल भरे थे इसलिए कुछ खाश साफ नहीँ दीखता, लोग वहां दिन भर मछलिया पकड़ते,
एक दिन मैंने देखा की उस बड़े से तालाब मे दो हंस तैर रहे थे, हाँसो का जोड़ा देखने मे बिल्कुल सफ़ेद और सुंदर था,
वही बगल मे एक बड़ा मोटा साँप भी उन हाँसो क़ो गौर से एकटक देखे जा रहा था, जैसे केह रहा हो...
तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,ये तो मेरा इलाका है, पर दोनों हंसो क़ो उसके अंदाज से कोई ख़ास फर्क नहीँ पड़ा,
वह बार बार हंसो के करीब से गुजर कर अपनी मौजूदगी जताने मे लगा था, मगर हँस अपनी अटखेलियों मे ब्यस्त थे, की तभी उधर से किसी नें मछलियों क़ो पकड़ने के लिए एक बड़ी सि जलन पानी मे फेंका,
साँप हंसो और ध्यान केंद्रित किये हुए था इसलिए वह उस जाल मे मछलियों के साथ जा फसा,
जबकि दोनों हँस उसी तालाब मे बड़े आराम से तैर रहे थे,
मछलियों क़ो निकलने के लिए ज़ब मछुवारो नें जाल फ
खोला , तब वह साँप भी उसमे मछलियों के साथ मिला, उन्हें मछवारो नें हाथ मे लेकर दूर जंगल की और फेंक दिया,वह साँप तेजी से उन्ही जंगलो मे जाकर छिप गया,
और हंस पानी मे लगातार गोते लगा रहे थे,
शिक्षा :- जो दुसरो के लिए गड्डा खोदता है,उस गड्ढे मे एकदिन वह खुद गिर जाता है
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