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Do-Jiraf-or-Darban : पढ़े दरबान ने कैसे दो जीराफो की जान बचाई

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उत्तर प्रदेश के विंध्यायन जंगल मे कड़ाके की ठंड थी, औऱ यहां का ठंड इतना भयावह था, 24 घंटे में दिन और रात बराबर लग रहे थे, मतलब यह कि कोहरे ने इस कदर ढका हुआ था वहां का इलाका की भरी दोपहर में भी कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,  वहां के पक्षियों से लेकर जीव जानवर सब त्राहि त्राहि कर रहे थे, खाने पीने का कोई ठीक नहीं था, ठंड के मौसम में भी जानवरों को खाने पीने की जरूरत पड़ती है, मांसाहारी जानवरों को तो कई दिनों से शिकार मिला ही नहीं, और शाकाहारी जानवर आसपास थोड़े बहुत घास खा कर अपना गुजारा कर रहे थे,  उन्ही जानवरों में दो बड़े-बड़े जिराफ थे, जिन्होंने विश्व 25 दिनों से ढंग से पेट भर पत्तीया भी नहीं खाया, ठंड के मारे उन्होंने आसपास ही पड़े थोड़ी बहुत घास खाकर अपना गुजारा कर लिया,  दोनों जिराफ में काफी गहरी दोस्ती थी, एक जो भी काम करता है दूसरा भी वही काम करता, ठंड के मारे दोनों कई दिनों तक जंगल की सैर सपाटे के लिए भी नहीं निकले, दोनों अपने अड्डे पर बैठकर थोड़ी बहुत दाना दाना खाकर कई दिनों से पड़े रहते रहते अब बोर हो गए थे,  इसलिए 1 दिन एक जिराफ ने कहा मुझे बड़ी...

Do-Jiraf-or-Darban : पढ़े दरबान ने कैसे दो जीराफो की जान बचाई

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उत्तर प्रदेश के विंध्यायन जंगल मे कड़ाके की ठंड थी, औऱ यहां का ठंड इतना भयावह था, 24 घंटे में दिन और रात बराबर लग रहे थे, मतलब यह कि कोहरे ने इस कदर ढका हुआ था वहां का इलाका की भरी दोपहर में भी कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,  वहां के पक्षियों से लेकर जीव जानवर सब त्राहि त्राहि कर रहे थे, खाने पीने का कोई ठीक नहीं था, ठंड के मौसम में भी जानवरों को खाने पीने की जरूरत पड़ती है, मांसाहारी जानवरों को तो कई दिनों से शिकार मिला ही नहीं, और शाकाहारी जानवर आसपास थोड़े बहुत घास खा कर अपना गुजारा कर रहे थे,  उन्ही जानवरों में दो बड़े-बड़े जिराफ थे, जिन्होंने विश्व 25 दिनों से ढंग से पेट भर पत्तीया भी नहीं खाया, ठंड के मारे उन्होंने आसपास ही पड़े थोड़ी बहुत घास खाकर अपना गुजारा कर लिया,  दोनों जिराफ में काफी गहरी दोस्ती थी, एक जो भी काम करता है दूसरा भी वही काम करता, ठंड के मारे दोनों कई दिनों तक जंगल की सैर सपाटे के लिए भी नहीं निकले, दोनों अपने अड्डे पर बैठकर थोड़ी बहुत दाना दाना खाकर कई दिनों से पड़े रहते रहते अब बोर हो गए थे,  इसलिए 1 दिन एक जिराफ ने कहा म...

jungli-sher-or-bhaise-ki-kahani : जंगली शेर और भैसे की कहानी

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एक भयानक शेर एक बहुत बड़ी जंगल में रहता था, उसे जंगल के बाकी जानवरों से कोई लगाव नहीं था वह जो मिलता उसे खा जाता, वह इसी तरह न जाने कितनी छोटी और मासूम जानवरों को खा चुका था,  एक बार एक जंगली भैंसा उसके सामने आया, वह उसमें से को देखते ही उसके मुंह से लार टपकने लग गई, वह उस पैसे को जल्द से जल्द खा जाना चाहता था, उसने जैसे ही वैसे पर हमला किया, उसके मुंह में सबसे पहले पैसे के देश से लगी मिट्टी अंदर समा गई,  शेर ने कहा "अरे यह क्या है "  जबकि वह भैसा दर्द से कराह रहा था,  क्योंकि शेर  का एक दांत वैसे के देह में जा गडा,  वह भैसा अभी भी भागने की तैयारी में था जबकि शेर उसे अपने हाथ से जाने नहीं देना चाह रहा था,  भैंसा पूरी तरह से मिट्टी से लथपथ था, वह किसी दलदल से दुख कराया था इसलिए उसके दिल पर मोटी मोटी दलदल की मिट्टी सनी हुई थी,  भैंसा बस किसी तरह जान बचाने के लिए हाथ पैर मारने लग गया जबकि शेर के साथ उसके बाकी दोस्त भी उसका साथ देने आ गए,  वैसे किसी तरह दिल की बात से अपना बदन छुड़ाकर भागा और शेर भी उसके पीछे भागे वैसे ज्या...

jungli-sher-or-bhaise-ki-kahani : जंगली शेर और भैसे की कहानी

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एक भयानक शेर एक बहुत बड़ी जंगल में रहता था, उसे जंगल के बाकी जानवरों से कोई लगाव नहीं था वह जो मिलता उसे खा जाता, वह इसी तरह न जाने कितनी छोटी और मासूम जानवरों को खा चुका था,  एक बार एक जंगली भैंसा उसके सामने आया, वह उसमें से को देखते ही उसके मुंह से लार टपकने लग गई, वह उस पैसे को जल्द से जल्द खा जाना चाहता था, उसने जैसे ही वैसे पर हमला किया, उसके मुंह में सबसे पहले पैसे के देश से लगी मिट्टी अंदर समा गई,  शेर ने कहा "अरे यह क्या है "  जबकि वह भैसा दर्द से कराह रहा था,  क्योंकि शेर  का एक दांत वैसे के देह में जा गडा,  वह भैसा अभी भी भागने की तैयारी में था जबकि शेर उसे अपने हाथ से जाने नहीं देना चाह रहा था,  भैंसा पूरी तरह से मिट्टी से लथपथ था, वह किसी दलदल से दुख कराया था इसलिए उसके दिल पर मोटी मोटी दलदल की मिट्टी सनी हुई थी,  भैंसा बस किसी तरह जान बचाने के लिए हाथ पैर मारने लग गया जबकि शेर के साथ उसके बाकी दोस्त भी उसका साथ देने आ गए,  वैसे किसी तरह दिल की बात से अपना बदन छुड़ाकर भागा और शेर भी उसके पीछे भा...