Gillu-ne-pani-me-tairna-sikha : पानी में गिरते पड़ते गिल्लू ने तैरना सिखा : मेंढक की सीख
एक बार की बात है, एक छोटा सा मेंढक पानी में जाने से डरता था, मेरठ की मम्मा ने सिखाया कि चलो बेटा पानी में तैरना तुम्हें आना चाहिए,
मगर वह मेरा पानी से इतना डरता था पानी को देखते ही दूर हट जाता, बारिश के महीने बिल्कुल पसंद नहीं थी उसे, पानी के आसपास से भी गुजर ना हुआ जरूरी नहीं समझता, उसे पानी देख कर ऐसा लगता जैसे कहीं मैं इसमें डूब ना जाऊं,
मां उसे बार-बार समझाती पानी में चलो बेटा हम पानी में रहने वाले जीव हैं, मगर वह मीठा बिल्कुल मां की बात नहीं मानता, पर वह सिर्फ जमीन पर ही चलना चाहता,
उस छोटे मेंढक का नाम था गिल्लू, उसी के उम्र के बहुत सारे मेंढक उसके दोस्त है,
बारिश के महीने के 1 दिन बहुत बारिश हुई और उस दिन जमीन का कोई हिस्सा का नहीं रहा जहां पानी ना जमा हो, गिल्लू एक कोने में एक पत्ते के सहारे दुख का बैठा रहा, फिर भी वह पानी में जाने की हिम्मत नहीं कर पाया,
जबकि गिल्लू के बाकी सारे दोस्त पानी में आराम से तैर रहे थे, यह देख गिल्लू मन ही मन पानी को लेकर डर शर्मिंदा हो रहा था,
लेकिन अब उसके पास कोई उपाय नहीं था क्योंकि पानी में जाने के लिए जब जब उसकी मां ने उसे सिखाना चाहा तब तक उसने मना कर दिया,
अब ऐसे मौसम में मां भीम से सिखाने ऐतराज़ कर रही थी, गिल्लू को पानी में जाने की इच्छा होने लगी, लेकिन और जैसे ही अपने कदम बड़ा था और पानी के अंदर जाने लगता, अपनी कई सारी नाकाम कोशिशों के बाद वह हार मान गया था,
उसे अपने किए पर बहुत दुख हो रहा था कि जब बाकी दोस्त पानी में तैरना सीख रहे थे तब उसने इतना क्यों नहीं जरूरी समझा,
इसके लिए उसने खुद को जिम्मेदार ठहराया, और एक बालवीर प्रबल शिक्षा के साथ में पानी में तैरने जाने की सोचा इस बार पानी में जाने पर उसने दो चार कदम आगे बढ़ाएं और फिर मैं डूबने लगा, तुम उसके दोस्त उसे सहारा देने आ गए, पानी में इसी तरह कदम बढ़ाते बढ़ाते गिल्लू भी पानी में तैरना सीख गया, इस तरह उसने भी एक नई पिक सीखी,
मैं बेकार में ही पानी से इतना भाग रहा था, यह तो बहुत ही आसान है, अगर मैं उसी समय या सीख लेता तो आज मुझे इतनी कठिनाई न झेलनी पड़ती,
शिक्षा :- जब तक हम किसी मुसीबत में नहीं पड़ते, हमारे द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कार्य का हमें अंदाजा नहीं लगता, और हमें हमेशा हिम्मत दिखानी चाहिए,
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