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ek-gaay-or-uske-pariwar-ki-kahani : पढ़े कैसे वह गाय कैसे वापस अपने परिवार में आई?

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एक गाय और उसके परिवार की कहानी :- यह कहानी एक गाय की है जो अपने परिवार में खुशहाल थी..... मगर एक फैसले से गाय और उसके मालिक दोनों की जिंदगी बदल गई  कहानी :- एक धनी परिवार में एक प्यारी सी गाय रहती थी वह गाय बिल्कुल सफेद और बहुत सुंदर थी, वह एक गाय की चौथी पीढ़ी थी जो इस परिवार को पालने भी दूध देकर,  गाय की आंखें बिल्कुल काली थी जिसे देखने से हर कोई लुभा जाता,  वह गाय सबकी लाडली थी और हर कोई उसके द्वारा दी गई दूध के मीठे स्वाद से वाकिफ था,  एक बार बार गाय बहुत बीमार पड़ गई, बहुत जांच पड़ताल करने के बाद भी असल बीमारी सामने नहीं आए तब किसी ने बताया कि वह एक प्लास्टिक निकल रही थी,,,,  इसके बाद उस गाय की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी, इसलिए लोगों ने गांव के बाहर से डॉक्टर बुलाया, जो की खास जानवरों के डॉक्टर थे,,,,,,,,,,,,,,, गाय के पेट के बीचो बीच के हिस्से में एक छोटा सा छेद किया गया और वहां से अंदर हाथ देखकर उस प्लास्टिक को उसके शरीर में अटके पड़े जगह से निकाला गया, तब जाकर कहीं वह गाय ठीक हो सकी,  इसके बाद घर में गाय की सेवा कर कर के लोग थक चु...

ek-gaay-or-uske-pariwar-ki-kahani : पढ़े कैसे वह गाय कैसे वापस अपने परिवार में आई?

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एक गाय और उसके परिवार की कहानी :- यह कहानी एक गाय की है जो अपने परिवार में खुशहाल थी..... मगर एक फैसले से गाय और उसके मालिक दोनों की जिंदगी बदल गई  कहानी :- एक धनी परिवार में एक प्यारी सी गाय रहती थी वह गाय बिल्कुल सफेद और बहुत सुंदर थी, वह एक गाय की चौथी पीढ़ी थी जो इस परिवार को पालने भी दूध देकर,  गाय की आंखें बिल्कुल काली थी जिसे देखने से हर कोई लुभा जाता,  वह गाय सबकी लाडली थी और हर कोई उसके द्वारा दी गई दूध के मीठे स्वाद से वाकिफ था,  एक बार बार गाय बहुत बीमार पड़ गई, बहुत जांच पड़ताल करने के बाद भी असल बीमारी सामने नहीं आए तब किसी ने बताया कि वह एक प्लास्टिक निकल रही थी,,,,  इसके बाद उस गाय की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी, इसलिए लोगों ने गांव के बाहर से डॉक्टर बुलाया, जो की खास जानवरों के डॉक्टर थे,,,,,,,,,,,,,,, गाय के पेट के बीचो बीच के हिस्से में एक छोटा सा छेद किया गया और वहां से अंदर हाथ देखकर उस प्लास्टिक को उसके शरीर में अटके पड़े जगह से निकाला गया, तब जाकर कहीं वह गाय ठीक हो सकी,  इसके बाद घर में गाय की सेवा कर कर के लोग थ...

natkhat-bandr : पढ़े नटखट बंदर कैसे सभी जानवरों को परेशान करता था

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एक बंदर हमेशा एक आम के बड़े से पेड़ पर चढ़कर बैठा रहता था, बंदर हर दिन पेड़ से फल तोड़कर खाता और वही आम तोड़कर ओरो क़ो मारता, वह बंदर बहुत शरारती और बहुत नटखट था,  आने जाने वाले जानवरों को फल तोड़कर मारते रहने के कारन सभी जानवरो उससे परेशान रहते,उससे करता था, जिस कारण सभी उसकी नटखट से परेशान रहते थे,  एक बार वह गलती से एक फल जंगल में रहने वाले शेर को मार दिया, अब वह शेर उसकी जान का प्यासा बन गया वह शेर जब भी हद से गुजरता एक बार उसे खाने की कोशिश जरूर करता पर वह बंदर पेड़ की डालियों से लपक लपक कर भाग जाता,  एक बार जब वह शेर उधर से जा रहा था तो उस बंदर को वहां बैठा पाया और उसे दबोच लिया और बोला क्यों बच्चे आ गए ना मेरी मुट्ठी में,  वह बंदऱ अब अपनी जान छुड़ाने के लिए शेर से माफी मांगने लगा,मगर और शेर ने उसे नहीं छोड़ा उधर से आते जाते कई जानवरों ने उसे देखा और उसे बचाने की भी कोशिश नहीं की, क्योंकि वह जानता है कि वह बंदर बहुत नटखट है वह सभी को परेशान करता रहता था,इसलिए उसकी मदद किसी नें नहीँ की , शेर बंदर को अपनी गुफा में ले गया और गुफा में बस खाने वाला था क...

natkhat-bandr : पढ़े नटखट बंदर कैसे सभी जानवरों को परेशान करता था

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एक बंदर हमेशा एक आम के बड़े से पेड़ पर चढ़कर बैठा रहता था, बंदर हर दिन पेड़ से फल तोड़कर खाता और वही आम तोड़कर ओरो क़ो मारता, वह बंदर बहुत शरारती और बहुत नटखट था,  आने जाने वाले जानवरों को फल तोड़कर मारते रहने के कारन सभी जानवरो उससे परेशान रहते,उससे करता था, जिस कारण सभी उसकी नटखट से परेशान रहते थे,  एक बार वह गलती से एक फल जंगल में रहने वाले शेर को मार दिया, अब वह शेर उसकी जान का प्यासा बन गया वह शेर जब भी हद से गुजरता एक बार उसे खाने की कोशिश जरूर करता पर वह बंदर पेड़ की डालियों से लपक लपक कर भाग जाता,  एक बार जब वह शेर उधर से जा रहा था तो उस बंदर को वहां बैठा पाया और उसे दबोच लिया और बोला क्यों बच्चे आ गए ना मेरी मुट्ठी में,  वह बंदऱ अब अपनी जान छुड़ाने के लिए शेर से माफी मांगने लगा,मगर और शेर ने उसे नहीं छोड़ा उधर से आते जाते कई जानवरों ने उसे देखा और उसे बचाने की भी कोशिश नहीं की, क्योंकि वह जानता है कि वह बंदर बहुत नटखट है वह सभी को परेशान करता रहता था,इसलिए उसकी मदद किसी नें नहीँ की , शेर बंदर को अपनी गुफा में ले गया और गुफा में बस खाने व...

ek-chuhe-or-ek-sher-ki-kahani : एक शेर और एक चूहे की कहानी

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एक जंगल में एक लायन रहता था लायन बहुत खुखार था, लायन राजा था, और छोटे जानवरों को बिल्कुल नहीं करता था, और सब को अपने से छोटा समझता था,  एक बार जब वह सो रहा था तो एक छोटा सा मां उसके कानों के पास खेल रहा था, वह सोते हुए वह सोते हुए शेर को अपनी शरारती से जगा दिया, तब लायन उठा और छोटे से चूहे को देखकर बहुत गुस्सा हो गया, उसने कहा तुमने मेरे कानों में गुदगुदी के जिसके कारण मैं नींद से जाग गया अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा तुम छोटू माउस होकर मुझसे शेर से पंगा लेते हो,  लायन ने चूहे से कहा तुमने मुझे परेशान कर दिया अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा मैं तुम्हें खा कर ही रहूंगा,  चूहा बुरी तरह से डर गया और थरथर कांपने लगा बोला नहीं हो झूठ नहीं हुजूर मुझे छोड़ दीजिए मैं आपकी मदद कर दूंगा कभी ना कभी, मुझे माफ कर दीजिए मैं कभी ना कभी आपके काम आ जाऊंगा मुझे आज मेरी गलती के लिए क्षमा कर दीजिए,  लायन बोला तुम भला मेरे किस काम के मैं तुमसे क्यों मदद हूं तुम अपना आकार देखो और मेरा आकर देखो क्या मैं तुम्हारी मदद के काबिल हूं तुम भला तुच्छ जीव मेरी क्या मदद कर...

ek-chuhe-or-ek-sher-ki-kahani : एक शेर और एक चूहे की कहानी

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एक जंगल में एक लायन रहता था लायन बहुत खुखार था, लायन राजा था, और छोटे जानवरों को बिल्कुल नहीं करता था, और सब को अपने से छोटा समझता था,  एक बार जब वह सो रहा था तो एक छोटा सा मां उसके कानों के पास खेल रहा था, वह सोते हुए वह सोते हुए शेर को अपनी शरारती से जगा दिया, तब लायन उठा और छोटे से चूहे को देखकर बहुत गुस्सा हो गया, उसने कहा तुमने मेरे कानों में गुदगुदी के जिसके कारण मैं नींद से जाग गया अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा तुम छोटू माउस होकर मुझसे शेर से पंगा लेते हो,  लायन ने चूहे से कहा तुमने मुझे परेशान कर दिया अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा मैं तुम्हें खा कर ही रहूंगा,  चूहा बुरी तरह से डर गया और थरथर कांपने लगा बोला नहीं हो झूठ नहीं हुजूर मुझे छोड़ दीजिए मैं आपकी मदद कर दूंगा कभी ना कभी, मुझे माफ कर दीजिए मैं कभी ना कभी आपके काम आ जाऊंगा मुझे आज मेरी गलती के लिए क्षमा कर दीजिए,  लायन बोला तुम भला मेरे किस काम के मैं तुमसे क्यों मदद हूं तुम अपना आकार देखो और मेरा आकर देखो क्या मैं तुम्हारी मदद के काबिल हूं तुम भला तुच्छ जीव मेरी क्या मद...

Do-Jiraf-or-Darban : पढ़े दरबान ने कैसे दो जीराफो की जान बचाई

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उत्तर प्रदेश के विंध्यायन जंगल मे कड़ाके की ठंड थी, औऱ यहां का ठंड इतना भयावह था, 24 घंटे में दिन और रात बराबर लग रहे थे, मतलब यह कि कोहरे ने इस कदर ढका हुआ था वहां का इलाका की भरी दोपहर में भी कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,  वहां के पक्षियों से लेकर जीव जानवर सब त्राहि त्राहि कर रहे थे, खाने पीने का कोई ठीक नहीं था, ठंड के मौसम में भी जानवरों को खाने पीने की जरूरत पड़ती है, मांसाहारी जानवरों को तो कई दिनों से शिकार मिला ही नहीं, और शाकाहारी जानवर आसपास थोड़े बहुत घास खा कर अपना गुजारा कर रहे थे,  उन्ही जानवरों में दो बड़े-बड़े जिराफ थे, जिन्होंने विश्व 25 दिनों से ढंग से पेट भर पत्तीया भी नहीं खाया, ठंड के मारे उन्होंने आसपास ही पड़े थोड़ी बहुत घास खाकर अपना गुजारा कर लिया,  दोनों जिराफ में काफी गहरी दोस्ती थी, एक जो भी काम करता है दूसरा भी वही काम करता, ठंड के मारे दोनों कई दिनों तक जंगल की सैर सपाटे के लिए भी नहीं निकले, दोनों अपने अड्डे पर बैठकर थोड़ी बहुत दाना दाना खाकर कई दिनों से पड़े रहते रहते अब बोर हो गए थे,  इसलिए 1 दिन एक जिराफ ने कहा मुझे बड़ी...