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आजाद पक्षी

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10 साल का रिशु हर वक्त अपने खेल में गिरता पड़ता रहता था, वह बाकी बच्चों की तरह नहीँ था... उसके साथ रहने वाले बच्चे अक्सर उसके गिरने पड़ने रोने का मज़ाक बना क़र हसा करते थे, पर फ़िरभी रिशु उन्ही के पास खेलने जाता रहता था, क्युकि उसे वही लोग अपने दोस्त लगते थे, भले वो कितना भी उसपर हसे, एक दिन हद हो गयी...... रिशु के बार बार गिरने पड़ने से उनलोगो ने उसे खेल से ही बाहर निकाल दिया, उन्हें लग रहा था की रिशु के कारन उसका खेल खराब हो रहा था, रिशु एक कोने में बैठा खेल दख रहा था, खेल देखते देखते उसकी नजर एक कबूतर पर पड़ी, वह चुपचाप अपना दाना खा रहा था,और कुछ को एक जगह पर इकट्ठा क़र रहा था सायद वह दाने को अपने किसी साथी के लिए रख रहा था, उधर से एक बच्चा आया और हुर्रर्रर्र करते हुए उस कबूतर को अपने तेज कदमो से हवा में उड़ा दिया, और उसके दाने जो की ज़मीन पर थे वह उसके कदमो के निचे आकर मिट्टी में जा धसे, रिशु सब देख रहा होता है, इसलिये उसने एक एक दाने को चुनकर कबूतरों के ठिकाने पर छोड़ आने का सोचा, ज़ब वह चुनने गया तों मात्र 5-7 दाने ही उसे मिले, उसने उसे कबूतरों के बैठने के स्थान पर रख क़र घर निकल गया,...

आजाद पक्षी

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10 साल का रिशु हर वक्त अपने खेल में गिरता पड़ता रहता था, वह बाकी बच्चों की तरह नहीँ था... उसके साथ रहने वाले बच्चे अक्सर उसके गिरने पड़ने रोने का मज़ाक बना क़र हसा करते थे, पर फ़िरभी रिशु उन्ही के पास खेलने जाता रहता था, क्युकि उसे वही लोग अपने दोस्त लगते थे, भले वो कितना भी उसपर हसे, एक दिन हद हो गयी...... रिशु के बार बार गिरने पड़ने से उनलोगो ने उसे खेल से ही बाहर निकाल दिया, उन्हें लग रहा था की रिशु के कारन उसका खेल खराब हो रहा था, रिशु एक कोने में बैठा खेल दख रहा था, खेल देखते देखते उसकी नजर एक कबूतर पर पड़ी, वह चुपचाप अपना दाना खा रहा था,और कुछ को एक जगह पर इकट्ठा क़र रहा था सायद वह दाने को अपने किसी साथी के लिए रख रहा था, उधर से एक बच्चा आया और हुर्रर्रर्र करते हुए उस कबूतर को अपने तेज कदमो से हवा में उड़ा दिया, और उसके दाने जो की ज़मीन पर थे वह उसके कदमो के निचे आकर मिट्टी में जा धसे, रिशु सब देख रहा होता है, इसलिये उसने एक एक दाने को चुनकर कबूतरों के ठिकाने पर छोड़ आने का सोचा, ज़ब वह चुनने गया तों मात्र 5-7 दाने ही उसे मिले, उसने उसे कबूतरों के बैठने के स्थान पर रख क़र घर निकल ...